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चना छू सकता है 8000 का भाव 2025 में उतपादन हुआ कम Cheer in farmers

चना छू सकता है 8000 का भाव

चना रबी के मौसम मे  उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण दलहन फसल है। विश्व के उत्पादन का 70 प्रतिशत भारत में होता है। चने में 21-25 प्रतिशत प्रोटीन 60-62 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 3-5 प्रतिशत वसा होती है। इसमें कैल्शियम आयरन व नियासीन की अच्छी मात्रा होती है। चने का उपयोग इसके दाने व दाल के रुप में खाने के लिये किया जाता है। बेसन में भी चने का कफी उपयोग किया  जाता है, जिससे अनेक प्रकार के व्यंजन व मिठाईयां बनायी जाती हैं। हरी अवस्था में चने के दानों व पौधों का उपयोग सब्जी के रुप में किया जाता है। चने का भूसा चारे व दाना पशुओं के लिए पोषक आहार के रूप मे प्रयोग किया जाता है।

चने का उपयोग औषधि के रूप में जैसे खून साफ करने के लिए व अन्य बीमारियों के लिए भी किया जाता है। चना दलहनी फसल होने के कारण वातावरण से नाइट्रोजन एकत्र कर भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाता है।

चना छू सकता है 8000 का भाव

क्‍या हो सकता है चने का भाव

इस साल बदलते मौसम के कारण चने की फसल खराब हो गई है इसलिए चने के भाव में तेजी देखने को मिल सकती है । गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी चने की बुवाई का रकबा बढा है किन्‍तु गत वर्ष की तरह पैदावार होगी इसमें चिंता जताई जा रही है । माैैसम का खराब होना इसका एक कारण बताया जा रहा है । चने की डिमांड गल्‍फ देशों में बहुत बढ़ रही है पैदावार अगर कम होती है ताे निश्‍चित ही चने के भाव में तेजी देखने को मिल सकती है  और चना छू सकता है 8000 का भाव।

विशेषज्ञो की माने तो चना 6000 से 8000 के बीच रह सकता है । चने की दाल की डिमाड कम है पर साबुत चने की डिमांड बढ़ रही है इसी के चलते चना छू सकता है 8000 का भाव।

क्‍या है आज का भाव

आज साबुत चना 6200 से 6500 के भाव पर बिक रहा है आगे माना जा रहा है की चने का भाव बढ सकता है। अगर सरकार हस्‍तझेप न करे तो चने के भाव का बढना तय है। वसंत पंचमी के बाद चने की दाल की डिमांड भी ज्‍यादा होती है इसके चलते चने की किमतो में भी उछाल आना माना जा रहा है।

चिंता की बात

आस्‍ट्रेलिया में चने की पैदावार अच्‍छी होने के कारण चने के भाव में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है । पिछले कई सालों में आस्‍ट्रेलिया ने चने की पैदावार में सुधार किया है। पिछले कुछ महिनो में भारत ने आस्‍ट्रेलिया से चने आयात भी करे है।  आस्‍ट्रेलिया से भारत में चने 6500 से 6800 के भाव में आयात किये है ।

डालर चना है मजबूत

डालर चना इस बार भी अपने मजबूत भाव के साथ खडा है । डालर चना इस बार 10000 के आस पास ही बिक रहा है इसके आगे और बढने की उम्‍मीद लगाई जा रही है ।इस बार डालर चने की पैदावार भी अच्‍छी हुई है । इंदौर मंडी में डालर चने की आवक आना चालू हो गई है अभी यह चना 9000-10000 के बीच बिक रहा है । आगे इसमे और तेजी देखी जा सकती है।

क्‍या है काबूली या डालर चना

काबूली या डालर चना चने की ही एक किस्म को काबुली चना या प्रचलित भाषा में छोले भी कहा जाता है। ये हल्के बादामी रंग के काले चने से अपेक्षाकृत बड़े होते हैं। ये अफ्गानिस्तान, दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ़्रीका और चिली में पाए जाते रहे हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में अट्ठारहवीं सदी से लाए गए हैं, व प्रयोग हो रहे हैं। यह चना भारत में अपनी पहचान बना रहा है इसकी डिमांड भारत में हर साल बढती जा रही है । सबजी आदी में इसका बहुत इस्‍तेमाल होता है।

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